सभायां यज्ञशालायां देवतायतनेषु च |
प्रत्येकं तु नमस्कारो हन्ति पुण्यं पुरा कृतम् ||
सभासु चैव सर्वासु यज्ञे राजगृहेषु च |
नमस्कारं प्रकुर्वीत ब्राह्मणं न पृथक् नमेत् ||
यज्ञशाला, मन्दिर,सभा,राजगृह इत्यादि स्थानों में अनेक ब्राह्मणों की उपस्थिति में उनको एक साथ ही प्रणाम करना चाहिये, अलग अलग नहीं | अलग अलग करने से पूर्व पुण्य नष्ट हो जाता है |
प्रत्येकं तु नमस्कारो हन्ति पुण्यं पुरा कृतम् ||
सभासु चैव सर्वासु यज्ञे राजगृहेषु च |
नमस्कारं प्रकुर्वीत ब्राह्मणं न पृथक् नमेत् ||
यज्ञशाला, मन्दिर,सभा,राजगृह इत्यादि स्थानों में अनेक ब्राह्मणों की उपस्थिति में उनको एक साथ ही प्रणाम करना चाहिये, अलग अलग नहीं | अलग अलग करने से पूर्व पुण्य नष्ट हो जाता है |